Beautiful villages of India | अद्भुत हैं भारत के ये खूबसूरत गांव
Beautiful villages of India: सही मायनों में कहा जाये तो भारत की आत्मा तो गांवों में ही बसती है, गांव की अपनी एक सुंदरता, अपनी संस्कृति और कार्यशैली होती हैं.
ग्रामीण क्षेत्रों की मिट्टी शुद्ध होती है और मिटटी की सौंधी-सौंधी खुशबू हमें मंत्रमुग्ध कर देती है. इतनी खूबियां होने के बाद भी आज की भागा-दौड़ी में कहां कोई गांव के शुद्ध वातावरण में रह पाता है और ना ही उस जगह चाह कर भी जा पाता है.
भारत के गाओं में ऐसा बहुत कुछ है, जो अद्भुत है और अपने भीतर ऐसे रहस्य, ऐसा सच और ऐसी खूबसूरती समेटे हुए है. जिससे आज भी ज्यादातर लोग वाकिफ नहीं हैं. सभी गांव की अपनी एक विशेषता होती है किन्तु भारत के इन गाँवो में कुछ अलग ही रोमांच है
मिरिक:
दार्जलिंग के पश्चिम में समुद्र तल से लगभग 4905 फीट की ऊंचाई पर बसा मिरिक एक छोटा सा गांव हैं. जहां प्रकृति अपने चरम पर सौंदर्य को बिखेर रखा है. हिमालय की वादियों में देवदार से घिरी मिरिक झील यहां के नजारों को अद्भुत बना देती है.
चाय के ढलानी बागान, जंगली फूलों की चादर, क्रिप्टोमेरिया के पेड़ यहां आने वाले सैलानियों को अपनी ओर खींचते हैं.
खोनोमा:
खोनोमा को एशिया का सबसे पहला हरा-भरा गांव घोषित किया गया है. ये गांव कोहिमा से 20 किलोमीटर दूर खोनोमा की हरी-भरी वादियों में स्थित है. यहां पर 100 से भी ज्यादा अलग-अलग प्रजाति वाले वन्य प्राणियों और खूबसूरत जीव-जंतु रहते हैं जो यहां पर आने वाले पर्यटकों को आकर्षित करते हैं.
यहां का हर घर एक दूसरे से जुड़े हैं जो पहाड़ियों की ढलान बहुत ही खूबसूरती के साथ बनाए गए हैं. ये गांव अपनी अलग तरह की खेती के लिए भी जाना जाता है. यहां पर जंगली फलों, सब्जियों सहित लगभग 250 प्रजातियों के पौधे पाए जाते हैं.
आप कोहिमा से टैक्सी के जरिए खोनोमा आसानी से पहुंच सकते हैं और कोहिमा पहुंचने के लिए दीमापुर सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट है. दीमापुर से कोहिमा की दूरी 2 घंटे की है.
स्मित:
मेघालय की राजधानी शिलांग से करीब 11 किलोमीटर दूर पहाड़ी पर बसा स्मित गांव बहुत ही खूबसूरत है. स्मित की हवा में शुद्धता और ताजगी का एहसास घुला हुआ है. इस वजह से ही इस गांव को प्रदूषण मुक्त गांव का दर्जा मिला हुआ है.
स्मित की प्रकृति चकित कर देने वाले नजरों से भरे हैं जो आपकी आंखों को सुकून प्रदान करते हैं. स्मित के लोग मुख्य रूप से झूम खेती का इस्तेमाल करते हैं. यहां सब्जी और मसाले की खेती होती है. स्मित में मिलने वाली चीनी मिट्टी की चट्टाने आपको मंत्रमुग्ध कर देती हैं.
मलाणा:
मलाणा गांव सिर्फ यहां की नैसर्गिक सुंदरता और मलाणा क्रीम के लिए नहीं जाना जाता. यहां की सबसे अलग चीज़ ये है कि यहां के लोग इसे सबसे पुराना लोकतंत्र कहते हैं. इनकी अपनी संसद है, अपना कानून है और हर काम का अपना तरीका है. हिमाचल की कुल्लू घाटी के उत्तर में पार्वती घाटी की चंद्रखानी की हरी-भरी वादियों से ढका है. ये गांव मलाना नदी के पास खूबसूरत पहाड़ियों के किनारे बसा है.
यहां आबादी कम और कुदरती करिश्मे ज़्यादा हैं. यहां के अद्भुत नजारे पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. यहीं कारण है कि सैलानी सुकून की तलाश में देश-विदेश से मलाना आते हैं. पर्यटक इस गांव के बाहर कैंप में रुकते हैं. अंदर गांव में जाने औऱ वहां किसी भी चीज़ को छूने की पर्यटकों को मनाही है.
शिलॉन्ग:
शिलांग से करीब 90 किमी दूरी पर बसा ये छोटा सा गांव, जहां पेड़ों की जड़ों से बने मजबूत पुल, खूबसूरत झरने, ऊँचे मचान पर बैठकर सम्मोहित कर देने वाले दृश्य देखने को मिलते हैं. शिलांग के अद्भुत दृश्य खासकर वहां की मनमोहक पहाड़ी का दृश्य मन को सुकून देने वाला है. आप इस गांव को देखकर यहीं पर बसने के लिए मजबूर हो जाएंगे. इस गांव की असल पहचान इसकी खूबसूरती है और खास बात यह है की यहां गंदगी बिल्कुल नाम मात्र के लिए भी नहीं है.
इस गांव को सबसे स्वच्छ गांव का ताज दिया गया है और इसका भी इसका श्रेय यहां के स्थानीय निवासियों को जाता है. हर वर्ग के लोग दिल खोलकर गांव की सफाई करते हैं और ग्रामीण अपने द्वारा बनाए गए बांस के कूड़ेदान में कचरा जमा करके उसे जैविक खेती के लिए प्रयोग में लाते हैं.