दूध में दरार पड़ गई – Atal Bihari Vajpayee Poem mp3 download
दूध में दरार पड़ गई
खून क्यों सफेद हो गया?
भेद में अभेद खो गया.
बंट गये शहीद, गीत कट गए,
कलेजे में कटार दड़ गई.
दूध में दरार पड़ गई.
खेतों में बारूदी गंध,
टूट गये नानक के छंद
सतलुज सहम उठी, व्यथित सी बितस्ता है.
वसंत से बहार झड़ गई
दूध में दरार पड़ गई.
अपनी ही छाया से बैर,
गले लगने लगे हैं ग़ैर,
ख़ुदकुशी का रास्ता, तुम्हें वतन का वास्ता.
बात बनाएं, बिगड़ गई.
दूध में दरार पड़ गई.
अटल जी की अमर कविताएँ
–> अटल बिहारी वाजपेयी: काल के कपाल पे लिखता मिटाता हूं.. गीत नया गाता हूं’
–> पंद्रह अगस्त का दिन कहता – आज़ादी अभी अधूरी है।
मित्रों आपको यह जानकारी कैसी लगी हमें कमेंट करके अवश्य बताएं. और हमसे जुड़े रहने के लिए हमारे फेसबुक पेज को जरूर लाइक करें जय हिन्द
[…] –> दूध में दरार पड़ गई. […]